हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह तिथि हर वर्ष वर्षा ऋतु की शुरुआत से पहले यानी जून-जुलाई के महीने में आती है। इस दिन को धार्मिक, आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण व शुभ माना जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और जलदान जैसे कर्म इस दिन विशेष रूप से किए जाते हैं।

इसके साथ ही यह अमावस्या नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, कालसर्प दोष निवारण और कष्टों से छुटकारा पाने के लिए भी बहुत प्रभावशाली मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान-पुण्य और हवन पूजन का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति आषाढ़ अमावस्या पर श्रद्धा भाव व विधि-विधान से पितृ तर्पण और दान करता है, उसे पितृ कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम आपको आषाढ़ अमावस्या 2025 व्रत के बारे में विस्तार से बताएंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ ऐसे उपायों के बारे में भी जानकारी देंगे जिन्हें अपनाने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सके। तो चलिए शुरू करते है ये ब्लॉग।
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आषाढ़ अमावस्या 2025: तिथि और समय
साल 2025 में आषाढ़ अमावस्या 25 जून को मनाई जाएगी।
अमावस्या आरम्भ: जून 24, 2025 की शाम 07 बजकर 02 मिनट से
अमावस्या समाप्त: जून 25, 2025 की शाम 04 बजकर 04 मिनट तक
आषाढ़ अमावस्या का महत्व
धार्मिक दृष्टि से आषाढ़ अमावस्या को सनातन धर्म में बहुत अधिक पुण्यकारी माना जाता है। इसका संबंध पूर्वजों की तृप्ति, पितृ दोष निवारण और आत्मिक शुद्धि से होता है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ कृपा प्राप्त होती है। साथ ही यह दिन प्रकृति पूजन, व्रत, और दान-पुण्य के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है।
लोग इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और विशेष रूप से भगवान विष्णु तथा शिव की पूजा करते हैं। पीपल के वृक्ष की पूजा, दीपदान और गरीबों को अन्न-वस्त्र का दान करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस दिन की गई पूजा और धार्मिक कर्म विशेष फलदायी मानी जाती है और साथ ही साधक को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ तथा आर्थिक स्थिरता भी प्राप्त होती है।
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आषाढ़ अमावस्या पर करें इस विधि से पूजन
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- फिर साफ वस्त्र धारण करें और मन को शुद्ध रखें और अपने पितरों का स्मरण करें।
- तांबे के पात्र में जल, तिल, कुश, फूल और थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर पितरों के लिए तर्पण करें। इस दौरान “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र का जप करें।
- इसके बाद घर में भगवान विष्णु, शिवजी या पितृ देवताओं की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं, गंध, फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
- पूजन के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम या भगवान श्रीहरि के मंत्रों का पाठ करें। मंत्र है- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। शिव पूजन के लिए- “ॐ नमः शिवाय”।
- इस दिन पीपल के वृक्ष की कम से कम 7 या 11 बार परिक्रमा अवश्य करें।
- इस विशेष दिन ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तांबा, तिल, गौ-दक्षिणा आदि का दान करें।
आषाढ़ अमावस्या के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में विधिशील नगर में सुमति नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह बहुत ही विद्वान, तपस्वी और धर्मशील था। उसने अपना पूरा जीवन ब्रह्मचर्य, व्रत और यज्ञ-दान में व्यतीत किया, लेकिन उसमें एक दोष था। वह कभी भी पितरों का श्राद्ध नहीं करता था और न ही तर्पण करता था। उसे लगता था कि पितरों का कोई अस्तित्व नहीं होता और यह सब केवल मिथ्या है।
एक दिन रात को ब्राह्मण को स्वप्न आया, जिसमें उसने देखा कि उसके पितर बेहद दुखी है और किसी जलहीन, उजाड़ स्थान पर पड़े हैं और सहायता उससे सहायता मांग रहे हैं। वे बार-बार कह रहे थे- “हे सुमति! तू बहुत पुण्यात्मा है, परंतु तूने कभी हमारा तर्पण नहीं किया, जिसके कारण हम तृषित हैं, भूखे हैं और कष्ट झेल रहे हैं।”
सपने से जागकर सुमति बहुत घबरा गया। वह अगले ही दिन एक ज्ञानी ऋषि के पास गया और उन्हें स्वप्न के बारे में बताया। ऋषि ने कहा, “हे ब्राह्मण! यह कोई भ्रम नहीं है, बल्कि तुम्हारे पितरों की आत्मा वास्तव में पीड़ा में है। तुम्हारा यह जीवन तभी सफल होगा जब तुम उनका श्राद्ध और तर्पण करोगे। इसके लिए सबसे उत्तम दिन आषाढ़ अमावस्या है। इस दिन विधिपूर्वक पितरों का तर्पण, श्राद्ध और दान करने से वे प्रसन्न होते हैं और तुम्हें आशीर्वाद देते हैं।”
सुमति ने ऋषि की बात मानी और आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगाजल से स्नान कर विधिपूर्वक पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया। उसने ब्राह्मणों को भोजन कराया, वस्त्र दान किए और गौ-सेवा भी की। उसी रात उसे पुनः स्वप्न आया, जिसमें उसके पितर दिव्य रूप में प्रकट हुए और बोले—”हे पुत्र! आज तूने हमें तृप्त किया। अब हम स्वर्ग में हैं और तुम्हें आशीर्वाद देते हैं कि तुम्हारी संतान दीर्घायु, सुखी और धर्मपरायण होगी।” उस दिन से सुमति ने हर अमावस्या को श्राद्ध करना शुरू कर दिया और अन्य लोगों को भी आषाढ़ अमावस्या पर तर्पण का महत्व समझाने लगा।
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आषाढ़ अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- सुबह सूर्योदय से पहले गंगाजल या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- इस दिन अपने पितरों के लिए जल तर्पण और श्राद्ध कर्म करना बहुत फलदायी होता है।
- गरीबों, ब्राह्मणों, और गायों को अन्न, वस्त्र, तिल, घी, छाता, पंखा, फल आदि का दान करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ पितृदेवताभ्यः नमः” का जप करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें।
क्या न करें
- इस दिन पूर्ण रूप से सात्विक रहें। मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि का सेवन भूलकर भी न करें।
पितरों का मजाक उड़ाना या उनके कार्यों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। - क्रोध, झूठ बोलना, लड़ाई-झगड़ा, किसी को अपशब्द कहना जैसे कामों से बचें।
- यदि आप तर्पण या श्राद्ध कर रहे हैं तो विधिवत ब्राह्मण की सलाह लेकर करें। अधूरी या गलत विधि करने से लाभ की जगह हानि हो सकती है।
- इस दिन जरूरतमंदों और गरीब को अनदेखा न करें।
आषाढ़ अमावस्या: इन उपायों से मिलेगा समस्याओं से छुटकारा
आषाढ़ अमावस्या में कुछ उपायों को अपनाकर आप बड़ी सी बड़ी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए
इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सुबह बिना बोले सरसों के तेल का दीपक जलाएं और “ॐ ऋणमोचकाय नमः” मंत्र का 21 बार जप करें। इससे धीरे-धीरे कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
घर से नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए
इस दिन एक लौंग और कपूर को साथ जलाकर पूरे घर में घुमाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए
इस दिन काले तिल, चावल और सफेद मिठाई किसी गरीब या ब्राह्मण को दान करें। साथ ही घर के तिजोरी स्थान पर हल्दी और एक सिक्का रख दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी।
बुरी नजर से बचने के लिए
इस विशेष दिन घर के सदस्यों पर 7 बार काले तिल और नमक उतारकर उसे बहते पानी में प्रवाहित करें। यह नज़र दोष और ऊपरी बाधाओं को दूर करता है।
पितृदोष से बचने के लिए
इस दिन गाय को गुड़ और रोटी खिलाएं और पितरों के नाम से जल में तिल डालकर तर्पण करें। इससे पितृदोष कम होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए
आषाढ़ अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर हनुमान जी को चोला चढ़ाएं और “ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
नौकरी और प्रमोशन के लिए
सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और उसमें केसर, लाल फूल और गुड़ डालें। साथ ही, सूर्य मंत्र का जाप करें। मंत्र- “ॐ सूर्याय नमः”।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आषाढ़ अमावस्या 2025 में 25 जून, बुधवार को है।
आषाढ़ अमावस्या के दिन घर के ईशानकोण में घी का दीपक जलाएं।
लोगों को विवाह, सगाई, मुंडन, नया वाहन खरीदना, नया व्यवसाय शुरू करना और गृह प्रवेश जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।