शुक्र का सिंह राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि वह अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाले हर परिवर्तन से अवगत करवाता रहे जिसका मनुष्य जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को “प्रेम का देवता” माना जाता है क्योंकि यह लक्ज़री, रोमांस और सुंदरता के कारक हैं। साथ ही, यह भौतिक वस्तुओं के प्रति मनुष्य लगाव को भी नियंत्रित करते हैं और इनकी कृपा से ही कोई व्यक्ति आपके प्रति और आप दूसरों के प्रति आकर्षित होते हैं।
इसके परिणामस्वरूप, अब हम समझ सकते हैं कि शुक्र की चाल, दशा और स्थिति में होने वाला हर परिवर्तन कितना महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी प्रकार, शुक्र देव की स्थिति में या राशि में बदलाव का असर प्रत्येक व्यक्ति के प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन संग विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है जो जल्द ही अपना गोचर करने जा रहे हैं।
दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी
आज के इस ख़ास ब्लॉग में हम “शुक्र का सिंह राशि में गोचर” के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, कब और किस समय करेंगे शुक्र देव अपनी राशि में बदलाव? शुक्र का सिंह राशि में गोचर आपके लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा?
सिंह राशि में शुक्र की स्थिति किन राशियों के लिए रहेगी शुभ और किन्हें फूंक-फूंककर रखना होगा कदम? आपके मन में उठने वाले इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस ब्लॉग में प्राप्त होंगे। साथ ही, शुक्र के इस गोचर के नकरात्मक प्रभावों से बचने के लिए आप किन उपायों को अपनाना होगा फायदेमंद? इस बारे में भी हम आपको जानकारी प्रदान करेंगे।
शुक्र का सिंह राशि में गोचर: तिथि व समय
शुक्र ग्रह को शुभ माना जाता है क्योंकि इनके आशीर्वाद से व्यक्ति को समृद्धि, विलासिता, प्रेमपूर्ण रिलेशनशिप, रचनात्मकता और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि शुक्र देव का गोचर हर 28 दिन बाद होता है यानी कि यह एक राशि में तक़रीबन एक महीने रहते हैं, उसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं।
इसी क्रम में, शुक्र महाराज अब 15 सितंबर 2025 की रात 12 बजकर 06 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। सिंह राशि के अधिपति देव सूर्य ग्रह हैं जिनके साथ शुक्र देव के संबंध ज्यादा अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं। ऐसे में, शुक्र की सिंह राशि में स्थिति का प्रभाव सभी राशियों को मिलेजुले फल दे सकता है। साथ ही, इस राशि में शुक्र कुछ ग्रहों के साथ युति भी करेंगे, आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
सिंह राशि में करेंगे शुक्र और सूर्य युति
ज्योतिष में सूर्य और शुक्र इन दोनों ग्रहों को विशेष माना जाता है। सूर्य जहां ग्रहों के जनक हैं, तो वहीं शुक्र प्रेम के ग्रह हैं। इन दोनों ग्रह को ही ज्योतिष में एक-दूसरे के शत्रु माना गया है। ऐसे में, जब शुक्र महाराज 15 सितंबर 2025 को सिंह राशि में गोचर करेंगे, तो उस समय वहां पहले से सूर्य देव विराजमान होंगे और यह दोनों ग्रह युति का निर्माण करेंगे।
इसके फलस्वरूप, सूर्य और शुक्र एक साथ बैठे होने से एक-दूसरे के प्रभाव को कम करेंगे और इनसे जुड़े क्षेत्रों में मिलने वाले परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। हालांकि, राहत की बात यह होगी कि सूर्य और शुक्र की युति बस दो दिन के लिए होगी क्योंकि इसके बाद सूर्य कन्या राशि में चले जाएंगे। अब हम आपको अवगत करवाते हैं शुक्र के सिंह राशि में प्रभाव से।
सिंह राशि में शुक्र: विशेषताएं
- वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सिंह राशि में शुक्र की स्थिति प्रेम, आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करती है।
- सिंह राशि में शुक्र के तहत जन्मे जातक अपने साथी को पूरे जुनून के साथ प्रेम करते हैं। इन जातकों को एक ऐसे पार्टनर की जरूरत होती है जो प्रेम में इन्हें ख़ास महसूस कराए।
- यह जातक अपने रिश्तों को लेकर बहुत उदार होते हैं और हमेशा उत्साहित रहते हैं।
- यह जीवन में मिलने वाले हर पल का आनंद लेते हैं। साथ ही, यह अपने प्यार का दिखावा करने से पीछे नहीं हटते हैं।
- शुक्र के सिंह राशि में प्रभाव से जातकों की कलात्मकता और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
- यह लोग ऐसी गतिविधियों की तरफ आकर्षित होते हैं जहां वह प्रगति हासिल कर सके और स्वयं को सही तरीके से व्यक्त करने में सक्षम हों, चाहे वह कला या किसी रचनात्मक खोज के माध्यम से हो।
- शुक्र कन्या राशि के अंतर्गत जन्मे लोग अपने जीवन में बहुत तेज़ गति से बढ़ते हैं।
- सिंह राशि में शुक्र की उपस्थिति के प्रभाव से जातक उदार बनते हैं। साथ ही, यह अपने प्रियजनों और करीबियों के साथ अच्छे से पेश आते हैं और उनका आदर करते हैं।
- जिन जातकों की कुंडली में शुक्र सिंह राशि में बैठा होता है, तो ऐसे जातक अपने दोस्तों के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन, उनके मन में अपने कार्यों के प्रति प्रशंसा और सराहना प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है। इन लोगों को ऐसे दोस्त पसंद होते हैं जो उन्हें गर्व महसूस करवाएं।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
- ज्योतिष में शुक्र देव को लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है जो जन्म कुंडली में दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं।
- हर राशि में शुक्र देव लगभग 27 दिनों तक रहते हैं और फिर दूसरी राशि में चले जाते हैं।
- इसी प्रकार, सभी 27 नक्षत्रों में शुक्र ग्रह को पूर्वाषाढ़ा, भरणी और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
- वहीं, नवग्रहों में शुक्र के मित्र शनि और बुध को माना जाता है जबकि यह चंद्रमा और सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं।
- बता दें कि शुक्र महाराज मीन राशि में उच्च अवस्था में होते हैं और इनकी नीच राशि कन्या है।
- विलासिता और ऐश्वर्य के ग्रह के रूप में शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन को भी दर्शाते हैं। इनके प्रभाव से रिश्ते में प्रेम, आपसी समझ और सामंजस्य में वृद्धि होती हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र देव मजबूत होते हैं, तो उसका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
- महिलाओं के लिए शुक्र देव की स्थिति और प्रभाव विशेष रूप से मायने रखता है क्योंकि यह प्रेम, सुंदरता और स्त्री जीवन से संबंधित भौतिक पहलुओं का भी नियंत्रित करते हैं।
- इनकी कृप से व्यक्ति को संगीत, कला और रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति जीवन में हर तरह का सुख भोगता है।
- बलवान शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति फैशन, डिजाइन और इंटीरियर डिज़ाइन के क्षेत्र में आगे बढ़ता है।
धार्मिक दृष्टि से शुक्र ग्रह
- ज्योतिष के साथ-साथ शुक्र ग्रह का अपना धार्मिक महत्व भी है। शायद ही आप जानते होंगे कि शुक्र देव असुरों के गुरु माने गए हैं जिन्हें दैत्यगुरु और शुक्राचार्य के नाम से जाना जाता है।
- हिंदू धार्मिक ग्रंथों में शुक्राचार्य या शुक्र ग्रह का वर्णन इस तरह से किया गया है कि शुक्र देव ने ज्ञान, विज्ञान और जीवन के गूढ़ रहस्यों की शिक्षा असुरों को प्रदान की थी।
- साथ ही, शुक्राचार्य को कई मंत्रों और औषधियों के आविष्कार का श्रेय जाता है, और इनकी सहायता से असुरों को देवताओं के साथ युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संजीवनी विद्या का ज्ञान शुक्राचार्य को ही प्राप्त है। बता दें कि यह एक ऐसी विद्या है जिसके उपयोग से मृत इंसान भी पुनः जीवित हो सकता है।
फ्री ऑनलाइन जन्म कुंडली सॉफ्टवेयर से जानें अपनी कुंडली का पूरा लेखा-जोखा
वैज्ञानिक दृष्टि से शुक्र ग्रह
- शुक्र ग्रह का सिर्फ़ ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व नहीं है, बल्कि विज्ञान के लिए भी यह विशेष महत्व रखता है।
- विज्ञान में शुक्र और पृथ्वी को जुड़वां बहनें कहा जाता है क्योंकि इन दोनों ग्रहों की बनावट और आकार काफ़ी हद तक एक जैसा है। इसके अलावा, शुक्र और पृथ्वी में कई समानताएं पाई जाती हैं।
- शुक्र की सतह भी धरती की तरह ही मज़बूत और चट्टानी है। बात करें शुक्र ग्रह के वायुमंडल की, तो इस ग्रह के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड पाया जाता है।
- हालांकि, शुक्र ग्रह का तापमान बहुत ज्यादा होता है इसलिए इसकी गिनती गर्म ग्रहों में होती हैं।
- आपको यह बात सुनकर आश्चर्य हो सकता है कि शुक्र ग्रह पर काफ़ी तादाद में ज्वालामुखी मौजूद हैं।
शुक्र का सिंह राशि में गोचर: मज़बूत शुक्र का प्रभाव
- जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह बलवान होते हैं, उनका प्रेम जीवन और रिश्ता मधुर एवं प्रेम से पूर्ण रहता है। साथ ही, वह खुशहाल रहते हैं।
- शुक्र का शुभ प्रभाव होने से व्यक्ति को संगीत, सौंदर्य, आकर्षण, वैवाहिक जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं क्योंकि इन सभी क्षेत्रों का संबंध शुक्र से होता है।
- कुंडली में अगर शुक्र ग्रह बेहद शुभ और मज़बूत हैं, तो व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होता है। साथ ही, उसे अपने जीवन में कभी भी धन से जुड़ी समस्याएं परेशान नहीं करती हैं।
- शुक्र की कृपा से जातकों का वैवाहिक और पारिवारिक जीवन सुख-शांति से पूर्ण रहता है। वह प्रेम संबंधों का आनंद लेने में सक्षम होते हैं।
चलिए अब जान लेते हैं शुक्र के कमज़ोर होने पर नज़र आने वाले लक्षणों के बारे में।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
कमज़ोर शुक्र के संकेत
- अगर शुक्र किसी जातक की कुंडली में कमज़ोर होता है, तो यह विवाह में देरी या समस्याएं पैदा कर सकता है। साथ ही, यह वैवाहिक जीवन में नाख़ुश रह सकते हैं।
- त्वचा और आंखों से संबंधित परेशानियां भी दुर्बल शुक्र की निशानी होती है।
- शुक्र के नकारात्मक होने पर व्यक्ति का आकर्षण कम होने लगता है। साथ ही, चेहरे से चमक भी खोने लगती है।
- जिन जातकों का शुक्र दुर्बल होता है, उन्हें भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं हो पाती है और ऐसे में, उसे घर, वाहन सुख पाने में समस्या का सामना करना पड़ता है।
- शुक्र की दुर्बलता प्रेम संबंधों में असफलता दे सकती है या फिर आपको ब्रेकअप की कगार पर ले जा सकती है।
- ऐसे लोग जो कलात्मक क्षेत्रों या फिर संगीत में रुचि रखता है और उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह शुक्र की दुर्बलता होती है।
शुक्र ग्रह के बारे में विस्तार से जानने के बाद अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शुक्र को प्रसन्न करने के उपाय।
शुक्र का सिंह राशि में गोचर: सरल एवं अचूक उपाय
- शुक्रवार का व्रत करें: शुक्र देव को मज़बूत करने के लिए नियमित रूप से शुक्रवार को व्रत रखें। साथ ही, इस दिन सफेद वस्त्र धारण करें।
- शुक्र मंत्र: कुंडली में शुक्र ग्रह को बलवान बनाने के लिए प्रतिदिन या शुक्रवार को “ॐ शुं शुक्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रत्न धारण करें: शुक्र का रत्न हीरा है इसलिए कुंडली में शुक्र की मज़बूती के लिए हीरा धारण करें। लेकिन, ऐसा किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद ही करें।
- सफेद चीजों का दान: ऐसा माना जाता है कि सफ़ेद चीज़ों जैसे दूध, चावल, सफेद वस्त्र, दही आदि का दान करने से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही, शुक्रवार के दिन गरीब कन्याओं को दान करना फलदायी रहता है।
- देवी लक्ष्मी को फूल करें अर्पित:शुक्र देव का संबंध देवी लक्ष्मी से माना जाता है इसलिए शुक्रवार के दिन 5 लाल रंग के फूल देवी को अर्पित करें।
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें।
शुक्र का सिंह राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए शुक्र दूसरा और सातवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए शुक्र पहले और छठे भाव के स्वामी हैं और शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए इस समय शुक्र चौथे और ग्यारहवें भाव के… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए शुक्र तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का सिंह राशि…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए शुक्र ग्रह दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें।
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए शुक्र पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए इस समय शुक्र सातवें और बारहवें भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए शुक्र छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और शुक्र का… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए शुक्र पांचवें और दसवें भाव के स्वामी है। शुक्र का सिंह… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए शुक्र चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए शुक्र तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का… (विस्तार से पढ़ें)
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रेम के कारक शुक्र ग्रह 15 सितंबर 2025 को सूर्य की राशि सिंह में प्रवेश कर जाएंगे।
ज्योतिष के अनुसार, शुक्र और सूर्य एक-दूसरे के मित्र नहीं हैं, बल्कि शुक्र सूर्य के प्रति शत्रु भाव रखते हैं।
सूर्य देव की राशि सिंह है इसलिए शत्रु राशि में शुक्र के गोचर को एक अनुकूल स्थिति नहीं कहा जा सकता है।
राशि चक्र में शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं।