कब है विवाह पंचमी 2025? इस दिन शादी करना क्‍यों है अशुभ?

कब है विवाह पंचमी 2025? इस दिन शादी करना क्‍यों है अशुभ?

विवाह पंचमी 2025: सनातन धर्म में कई व्रत एवं त्‍योहार आते हैं जिनमें से एक विवाह पंचमी भी है। पूरे देश में इस पर्व को बहुत हर्ष और आस्‍था के साथ मनाया जाता है। बता दें कि धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम और माता सीता का दिव्‍य विवाह संपन्‍न हुआ था।

एस्ट्रोसेज एआई का यह ब्लॉग आपको “विवाह पंचमी 2025” से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, हम आपको अवगत कराएंगे कि विवाह पंचमी के दिन विवाह क्यों नहीं किया जाता है। आइए अब बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं विवाह पंचमी की तिथि एवं मुहूर्त।

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विवाह पंचमी 2025: तिथि एवं मुहूर्त

हर साल भगवान राम और माता सीता की वैवाहिक वर्षगांठ के रूप में विवाह पंचमी मनाई जाती है। यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्‍योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है। हिंदू धर्म में किए जाने वाले हर विवाह के समान ही इस दिन की तैयारियों और रस्मों की शुरुआत भी कई दिनों पहले हो जाती हैं। वर्ष 2023 में विवाह पंचमी का पर्व उदया तिथि के अनुसार 25 नवंबर, 2025 को मनाया जाएगा। 

विवाह पंचमी 2025 तिथि 

विवाह पंचमी 2023 की तिथि: 25 नवंबर, 2025, मंगलवार

पंचमी तिथि का आरंभ: 24 नवंबर, 2025 को रात्रि 09 बजकर 24 मिनट पर।

पंचमी तिथि की समाप्ति: 25 नवंबर, 2025 को रात्रि 10 बजकर 58 मिनट पर।

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विवाह पंचमी 2025 पर बन रहा है शुभ योग

इस बार विवाह पंचमी के दिन ध्रुव योग बनने जा रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा और शिववास योग भी होता है। इस तरह विवाह पंचमी के दिन शुभ योग में भगवान राम और देवी सीता की पूजा करने से वैवाहिक सुख और सौभाग्‍य की प्राप्‍ति होगी। पति-पत्‍नी के बीच प्रेम बढ़ेगा।

ध्रुव योग कार्यों में स्‍थायित्‍व और दृढ़ता लाता है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान कोई भी कार्य करने से उसमें सफलता जरूर मिलती है। शिव वास योग सौभाग्‍य और शुभता में वृद्धि करता है।

विवाह पंचमी 2025 का महत्व 

हिंदू धर्म में भगवान राम और माता सीता पूजनीय हैं और उनसे जुड़ी हर एक चीज़ और तिथि उनके भक्‍तों के लिए विशेष महत्‍व रखती है। त्रेतायुग में श्री राम ने देवी सीता के स्‍वयंवर में प्रतियोगिता के रूप में भगवान शिव का धनुष तोड़ा था। इसके बाद, मिथिलांचल में श्रीराम का राजा जनक की पुत्री देवी सीता से विवाह संपन्न हुआ था।

तुलसीदास जी की श्रीरामचरितमानस में भी इसका वर्णन मिलता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को राम-सीता का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

मान्‍यता है कि इस दिन ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस भी पूरी की थी। विवाह पंचमी का पर्व अयोध्या और नेपाल के लिए विशेष मायने रखता है इसलिए इस पर्व की रौनक यहां अलग ही देखने को मिलती है। विवाह पंचमी के अवसर पर इन दोनों जगहों पर भव्य आयोजन किए जाते हैं और भक्तजन राम-सीता का विवाह भी आयोजित करते हैं।

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विवाह पंचमी 2025 का ऐतिहासिक महत्‍व

ऐसा नहीं है कि विवाह पंचमी केवल धार्मिक महत्‍व ही रखती है बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्‍व भी बहुत ज्‍यादा है। त्रेतायुग में राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के लिए स्‍वयंवर का आयोजन किया था। उस स्‍वयंवर में जो भी भगवान शिव के दिव्‍य धनुष को उठाकर उस पर प्रत्‍यंचा चढ़ाता है, उसके गले में माता सीता वरमाला डालतीं।

स्‍वयंवर में कई शक्‍तिशाली राजा असफल हुए लेकिन भगवान राम ने बड़ी सहजता से धनुष को उठाकर उसे तोड़ दिया और उसके बाद देवी सीता ने उनसे विवाह किया। हिंदू पौराणिक कथाओं में इसे एक ऐतिहासिक क्षण माना जाता है। अक्‍सर मंदिरों और सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों में भगवान राम और माता सीता के दिव्‍य विवाह का मंचन किया जाता है।

विवाह पंचमी 2025 पर क्‍यों नहीं करना चाहिए विवाह

आमतौर पर ऐसा लगता है कि जिस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, उस तिथि पर विवाह करना बहुत शुभ रहेगा लेकिन असल में ऐसा नहीं है। राम-सीता वैवाहिक जीवन के लिए आदर्श हैं लेकिन फिर भी, विवाह पंचमी के अवसर पर अनेक शुभ मुहूर्त होते हुए भी विवाह नहीं किया जाता है और इस तिथि पर माता-पिता अपनी कन्या का विवाह करने से बचते हैं। जानिए इसका क्‍या कारण है।

धर्मग्रंथों के अनुसार श्रीराम और माता सीता का वैवाहिक जीवन कष्‍टों से भरा रहा था और विवाह के उपरांत उन्‍हें कई बार वियोग सहना पड़ा था। पहले रावण की वजह से और दूसरी बार श्री राम के माता सीता को त्‍याग देने की वजह से। वहीं रावण की लंका में रहने के बाद माता सीता को अपनी पवित्रता साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। देवी सीता ने बडे कष्‍टों के साथ अपने दोनों पुत्रों की परवरिश की थी।

इन सब कारणों को देखते हुए माता-पिता अपनी कन्या की शादी विवाह पंचमी 2025 के दिन नहीं करते हैं।

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विवाह पंचमी 2025 की पूजन विधि

  • सबसे पहले विवाह पंचमी 2025 के दिन सुबह स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होने के बाद श्रीराम और देवी सीता के विवाह का संकल्प करें।  
  • फिर किसी साफ़ स्थान पर भगवान राम और माता सीता की मूर्ति स्थापित करें। 
  • इसके बाद राम जी को पीले रंग के और मां सीता को लाल रंग के वस्त्र चढ़ाएं। 
  • अगर आपके लिए ऐसा करना संभव न हो, तो इनके सामने बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें या फिर आप “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • अब देवी सीता और श्रीराम का गठबंधन करने के बाद आरती करें। 
  • इसके पश्‍चात् गांठ लगे हुए वस्त्र यानी कि गठबंधन को अपने पास रख लें और अंत में पूजा का प्रसाद वहां उपस्थित सभी लोगों में बांट दें।

विवाह पचंमी पूजा करने के लाभ

यदि आप विवाह पंचमी 2025 के अवसर पर भगवान राम और माता सीता की पूजा करते हैं, तो इससे आपको निम्‍न लाभ मिल सकते हैं:

सुखी वैवाहिक जीवन का उपाय

माना जाता है कि विवाह पंचमी पर सीता-राम की पूजा करने से व्‍यक्‍ति को सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्‍त‍ि होती है। पति-पत्‍नी में प्रेम और विश्‍वास बढ़ता है।

विवाह की अड़चनें दूर होती हैं

जिन लोगों को विवाह में देरी या अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, उन्‍हें विवाह पंचमी की पूजा करने से ग्रह दोष एवं अड़चनों से छुटकारा मिल सकता है। इससे सफल विवाह का मार्ग प्रशस्‍त होता है।

पति-पत्‍नी का रिश्‍ता मजबूत करने के लिए

जो विवाहित दंपत्ति इस दिन एक साथ राम-सीता की पूजा करते हैं, उनका रिश्‍ता मजबूत होता है और वैवाहिक संबंध में सुख–शांति आती है एवं रिश्‍ता लंबा चलता है। इस पूजा को करने से वैवाहिक संबंध में भरोसा, प्‍यार और आपसी सम्‍मान बढ़ता है।

सुख-शांति का उपाय

विवाह पंचमी पूजा से न सिर्फ शादीशुदा जिंदगी में खुशियां आती हैं बल्कि घर में भी सुख-शांति और संपन्‍नता का आगमन होता है। यह घर के वातावरण को शुद्ध करता है, नकारात्‍मकता को हटाता है और घर में सकारात्‍मक ऊर्जा भर देता है।

आध्‍यात्मिक विकास होता है

इस पवित्र दिन पर व्रत रखने और प्रार्थना करने से ईश्‍वर के साथ आध्‍यात्मिक संबंध विकसित करने में मदद मिलती है। इससे आत्‍मा की शुद्धि होती है और आंतरिक शांति मिलती है।

निसंतान दंपत्तियों के लिए

जो दंपत्ति संतान प्राप्‍ति की कामना कर रहे हैं, उन्‍हें भी विवाह पंचमी 2025 के दिन राम-सीता की पूजा करनी चाहिए। इससे संतान प्राप्‍ति में आ रही अड़चनें दूर होती हैं।

वैवाहिक विवाद

विवाह पंचमी पूजा करने से पति-पत्‍नी के बीच गलतफहमियों, मतभेद या मुश्किलें दूर होती हैं और उनके बीच प्‍यार एवं स्‍नेह बढ़ता है।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

विवाह पंचमी 2025 कब है?

इस बार 25 नवंबर, 2025 को विवाह पंचमी पड़ रही है।

विवाह पंचमी का क्‍या महत्‍व है?

इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था।

विवाह पंचमी पर क्‍या करते हैं?

इस दिन राम-सीता की पूजा की जाती है, रामचरितमानस का पाठ करना शुभ होता है।