शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव को प्रेम, सौंदर्य, कला, वैभव और सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है। जब-जब शुक्र का गोचर होता है, तब इसका असर सभी 12 राशियों के जीवन पर किसी न किसी रूप में आवश्यक पड़ता है।

यह गोचर कुछ जातकों के लिए भाग्यवृद्धि, प्रेम संबंधों में मजबूती और आर्थिक उन्नति लेकर आता है, तो कुछ के लिए चुनौतियों और भ्रम की स्थिति भी पैदा कर सकता है। इस बार शुक्र गोचर कई राशियों के जीवन में नए अवसर लेकर आएगा।
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कहीं रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी तो कहीं खर्चों पर नियंत्रण की आवश्यकता होगी। जानिए, इस गोचर का आपकी राशि पर क्या प्रभाव रहेगा, किसे मिलेगा सौभाग्य का साथ और किसे रहना होगा सावधान।
बता दें कि शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर हो रहा है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको “शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं शुक्र के गोचर की तिथि और समय पर।
शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर : तिथि और समय
शुक्र स्त्री तत्व वाला ग्रह है और उन्हें सौंदर्य का कारक भी माना जाता है। अब 26 नवंबर, 2025 को सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर शुक्र वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे।
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुख, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, भौतिक सुख-सुविधाओं, कला, संगीत, दाम्पत्य जीवन और ऐश्वर्य का कारक माना गया है। यह नवग्रहों में सबसे कोमल और शुभ ग्रहों में से एक है। शुक्र व्यक्ति के जीवन में भोग-विलास, विलासिता, आकर्षण और प्रेम से जुड़ी इच्छाओं को दर्शाता है। शुक्र ग्रह व्यक्ति की जीवनशैली, रिश्तों की मधुरता, विवाहिक जीवन की स्थिरता और धन संपत्ति की प्राप्ति में अहम भूमिका निभाता है।
जिन जातकों की कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, वे अक्सर सुंदर व्यक्तित्व, आकर्षक व्यक्तित्व, कलात्मक रुचियों और विलासी जीवन के धनी होते हैं। दूसरी ओर यदि शुक्र कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को प्रेम जीवन में असफलता, वैवाहिक मतभेद, त्वचा रोग, नेत्र दोष या आर्थिक अस्थिरता जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
शुक्र के दान भक्ति और कला का भी ग्रह माना गया है। यह जीवन में प्रेम सौंदर्य के साथ-साथ संतुलन और मधुरता लाने की क्षमता रखता है।
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शुक्र गोचर का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह का गोचर व्यक्ति के जीवन में प्रेम, संबंध, सौंदर्य, सुख-सुविधा और आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है। जब शुक्र अपनी स्थिति बदलता है, तो वह हर राशि में लगभग 23 से 25 दिन तक रहता है और इसी अवधि में यह व्यक्ति की भावनाओं, रिश्तों और भौतिक जीवन में उतार-चढ़ाव लेकर आता है।
जब शुक्र शुभ भावों में जैसे पहले, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें या दसवें भाव में गोचर करते हैं, तब यह प्रेम जीवन में मधुरता, वैवाहिक सुख, आर्थिक लाभ, विलासिता और आकर्षण में वृद्धि देता है। जातक का व्यक्तित्व निखरता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है। यह समय कला, संगीत, फैशन, डिज़ाइनिंग, मीडिया और रचनात्मक क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए बहुत लाभकारी होता है।
वहीं जब शुक्र अशुभ भावों जैसे षष्ठ, आठवें या बारहवें भाव में आता है या शनि, राहु, केतु या मंगल के प्रभाव में होता है, तब यह व्यक्ति के जीवन में मानसिक अस्थिरता, प्रेम संबंधों में मतभेद, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां (विशेषकर त्वचा, आंख या प्रजनन तंत्र से जुड़ी) और खर्चों में बढ़ोतरी ला सकता है। इस समय भावनाओं में बहकर लिए गए निर्णय नुकसानदेह सिद्ध हो सकते हैं, इसलिए संयम और विवेक की आवश्यकता रहती है।
शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर: शुक्र की मजबूत स्थिति के संकेत
जन्म कुंडली में जब शुक्र ग्रह मजबूत, उच्च राशि (मीन) में हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तब यह व्यक्ति के जीवन में सुख, सौंदर्य और आकर्षण लेकर आता है। शुभ शुक्र वाले लोग न सिर्फ बाहर से आकर्षक होते हैं, बल्कि अंदर से भी प्रेमपूर्ण और सृजनशील स्वभाव के होते हैं।
- चेहरा तेजस्वी, त्वचा साफ़ और मुस्कान मनमोहक होती है।
- ऐसे व्यक्ति मीठे बोलने वाले, विनम्र और दूसरों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
- दांपत्य जीवन में प्रेम, समझ और स्थिरता बनी रहती है।
- भौतिक सुख, गहने, वाहन, सुंदर घर या कला से जुड़े लाभ मिलने के योग रहते हैं।
- संगीत, फैशन, डिजाइनिंग, फिल्म, पेंटिंग या सौंदर्य क्षेत्र में रुचि रहती है।
- व्यक्ति को सौंदर्य, सुगंध, कपड़ों और वातावरण की सजावट का विशेष लगाव होता है।
- ऐसा व्यक्ति भावनात्मक रूप से स्थिर रहता है और दूसरों के प्रति दयालु होता है।
- उनके आस-पास लोग सहज रूप से आकर्षित होते हैं, चाहे वह रूप से हो या व्यक्तित्व से।
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शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर: कमज़ोर शुक्र के संकेत
जब जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह नीच राशि (कन्या राशि) में हो, पाप ग्रहों (जैसे शनि, राहु, केतु या मंगल) से ग्रस्त हो या षष्ठ, आठवें या द्वादश भाव में स्थित हो, तब शुक्र कमज़ोर माना जाता है। अशुभ शुक्र व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सौंदर्य, सुख-सुविधा और संतुलन काम कर देता है।
- वैवाहिक जीवन में मतभेद, प्रेम में अस्थिरता या धोखे जैसी स्थितियां बनती हैं।
- व्यक्ति जल्दी आहत होता है, गुस्सा या उदासी हावी रहती है।
- विलासिता की चाह में खर्च बढ़ जाते हैं, बचत नहीं हो पाती।
- त्वचा रोग, आंखों में जलन, हार्मोनल असंतुलन या प्रजनन तंत्र से जुड़ी दिक्कतें।
- प्रेम संबंधों में गलतफहमियां, टूटन या अविश्वास की स्थिति।
- चेहरा म्लान या त्वचा बेरौनक लग सकती है, आत्मविश्वास घटता है।
- वाहन, गहने, कपड़े या सुंदर चीजों के प्रति अरुचि या अभाव।
- रचनात्मकता या कला के क्षेत्र में रुचि घटती है या सफलता नहीं मिलती।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जब शुक्र नीच राशि (कन्या राशि) में हो, शनि, राहु, केतु या मंगल से पीड़ित हो, या अशुभ भावों (षष्ठ, अष्टम, द्वादश) में स्थित हो — तब इसका प्रभाव कमजोर माना जाता है।
कमजोर शुक्र प्रेम, विवाह, धन, सौंदर्य और सुख-सुविधाओं से जुड़े क्षेत्रों में कमी या बाधा लाता है। व्यक्ति भावनात्मक रूप से असंतुलित हो सकता है और रिश्तों में मधुरता घट जाती है।
हां, कमजोर शुक्र से त्वचा रोग, हार्मोनल असंतुलन, आंखों की समस्या, गर्भाशय या प्रजनन तंत्र से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं।