शत्रु चंद्रमा की राशि में बुध का होगा गोचर, किन्हें रहना होगा सावधान और किन पर रहेंगे मेहरबान? जानें

शत्रु चंद्रमा की राशि में बुध का होगा गोचर, किन्हें रहना होगा सावधान और किन पर रहेंगे मेहरबान? जानें

बुध का कर्क राशि में गोचर: जैसे कि हम सभी जानते हैं कि नवग्रहों में प्रत्येक ग्रह समय-समय पर अपनी राशि में बदलाव करता है। जब कभी कोई ग्रह अपनी राशि में परिवर्तन करता है, तो इसका प्रभाव राशियों समेत देश-दुनिया पर भी पड़ता है। इसी क्रम में, बुध देव का गोचर हर 23 से 27 दिनों के बाद होता है और अब यह कर्क राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध महाराज को ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है क्योंकि यह मानव जीवन में बुद्धि, व्यापार, वाणी और तर्क जैसे क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में, बुध ग्रह की राशि में होने वाला यह परिवर्तन इन सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको “बुध का कर्क राशि में गोचर” से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी। 

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बुध का कर्क राशि में गोचर का प्रभाव जातकों के साथ-साथ संसार को भी निश्चित रूप से प्रभावित करेगा। हमारा यह ब्लॉग एस्ट्रोसेज एआई के अनुभवी और विद्वान ज्योतिषियों द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की चाल, दशा और स्थिति के आधार पर तैयार किया है जिसके माध्यम से बुध का कर्क राशि में गोचर किन राशियों को शुभ-अशुभ परिणाम देगा, इसके बारे में आपको जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, इस दौरान किस राशि के जातकों को सावधानी बरतनी होगी और किन उपायों को अपनाकर आप बुध ग्रह से सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकेंगे? यह भी हम आपको बताएंगे। 

क्या रहेगा बुध गोचर का समय?

बुध देव को तेज़ गति से चलने वाले ग्रह कहा जाता हैं इसलिए यह एक महीने से भी कम समय में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं। इसी क्रम में, बुध देव अब 22 जून 2025 की रात 09 बजकर 11 मिनट पर अपने आधिपत्य वाली राशि मिथुन से निकलकर कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि इनका यह राशि परिवर्तन चंद्र देव की राशि में होगा जिन्हें बुध ग्रह का शत्रु माना जाता है। ऐसे में, बुध की कर्क राशि में स्थिति को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है और ऐसे में, यह कुछ राशियों के लिए अच्छे और कुछ के लिए बुरे परिणाम लेकर आ सकते हैं। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध की कर्क राशि में प्रभाव के बारे में। 

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बुध कर्क राशि में: विशेषताएं

  • बुध महाराज की कर्क राशि में उपस्थिति जातकों को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम प्रदान करती है। हालांकि, यह पूरी तरह से निर्भर करता है कि आप अपनी ऊर्जा का उपयोग किस तरह से करते हैं। 
  • अगर आप अपना ध्यान खुद पर केंद्रित करेंगे, तो आप स्वयं को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और अपनी भावनाओं को दूसरे के सामने सही तरीके से रख सकेंगे। 
  • कर्क राशि में बुध के तहत जन्मे जातक सामान्यतौर पर मानसिक रूप से मज़बूत और भावुक होते हैं। साथ ही, इनकी अंतर्ज्ञान की क्षमता भी मज़बूत होती है। 
  • बुध ग्रह कार्यों को एकाग्रता के साथ करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं और जब यह कर्क राशि में विराजमान होते हैं, तब यह आपको भावनाओं के जाल में फंसा देते हैं। 
  • इसके परिणामस्वरूप, आप अपनी भावनाओं से बाहर निकलने में असमर्थ होते हैं जिसके चलते आप चिंता, तनाव, हताशा जैसी मानसिक समस्याएं के शिकार बन जाते हैं। 
  • अगर कुंडली में बुध की स्थिति अनुकूल होती है, तो आप जीवन में आने वाली हर समस्या से बाहर निकलने में सक्षम होते हैं। 
  • बुध कर्क राशि के अंतर्गत पैदा होने वाले जातकों का ज्योतिष, चिकित्सा, अध्यात्म, आयुर्वेद,  जनसंचार और शिक्षा के क्षेत्र में प्रदर्शन अच्छा होता है। 

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ज्योतिष की नज़रों में बुध

  • वैदिक ज्योतिष में सबसे छोटे ग्रह माने जाने वाले बुध ग्रह को प्रमुख स्थान प्राप्त है जो कि एक शुभ ग्रह के रूप में जाने जाते हैं। 
  • नवग्रहों में सूर्य जनक, चंद्रमा रानी और मंगल को सेनापति माना गया है, उसी प्रकार बुध ग्रह को युवराज का दर्जा प्राप्त है।
  • बुध महाराज बुद्धि, संचार कौशल, तर्कशास्त्र, गणित, अकाउंट और व्यापार के कारक ग्रह हैं। 
  • यह एक द्विस्वभाव ग्रह है यानी कि कुंडली में बुध ग्रह जिस ग्रह के साथ बैठे होते हैं, उसी के अनुसार आपको फल प्रदान करते हैं। 
  • वहीं, अगर बुध देव अशुभ ग्रहों के साथ उपस्थित होते हैं, तो यह अशुभ परिणाम देने लगते हैं। उदाहरण के लिए बुध ग्रह शुक्र, गुरु और बली चंद्रमा के साथ बैठ होंगे, तो आपको अच्छे फल देंगे जबकि पापी ग्रह जैसे केतु, राहु, शनि, सूर्य और मंगल के साथ होने पर अशुभ फल देते हैं। 
  • बुध देव मानव जीवन में बहन, व्यापार, अकाउंट, बुआ, गणित और ज्योतिष विद्या को नियंत्रित करते हैं। 
  • बुध ग्रह को तेज-तर्रार ग्रह माना जाता है जो सूर्य के सबसे नज़दीक स्थित हैं इसलिए यह बार-बार अस्त हो जाते हैं। 
  • सभी 27 नक्षत्रों में बुध देव ज्येष्ठा, आश्लेषा और रेवती नक्षत्र के अधिपति देव हैं। 
  • मज़बूत बुध होने पर जातक संवाद और संचार के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करता है। साथ ही, हंसी-मज़ाक करने वाला व्यक्ति होता है। 
  • ऐसे जातक कूटनीतिज्ञ, राजनीति और बुद्धिमान होता  है। 

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लग्न भाव में बैठे बुध का प्रभाव 

जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि बुध हमारे जीवन में महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नियंत्रित करते हैं इसलिए इनकी स्थिति विशेष तौर पर देखी जाती है। हालांकि, कुंडली में अलग-अलग भावों में बुध देव-भिन्न भिन्न परिणाम देते हैं। लेकिन, लग्न भाव में बुध कैसे फल प्रदान करते हैं? आइए जानते हैं। बता दें कि ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध महाराज लग्न भाव में उपस्थित होते हैं, वह बेहद सुंदर और आकर्षक होते हैं। साथ ही, यह लोग अधिकतर अपनी आयु से छोटे और युवा नज़र आते हैं। लग्न भाव में बुध महाराज की स्थिति जातकों को तेज़ बुद्धि, तर्क से बोलने वाला और कुशल वक्ता बनाने का काम करती है। साथ ही, ऐसा इंसान कई भाषाओं का ज्ञाता, व्यापार में सफल और लंबी उम्र वाला होता है।

बुध की महादशा का प्रभाव 

बुध ग्रह के महत्व और प्रभाव के बारे में जानने के बाद अब हम जानेंगे कि क्या होती है बुध की महादशा और यह कितने वर्ष चलती है? तो आपको बता दें कि नौ ग्रहों में हर ग्रह की महादशा होती है। हालांकि, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध की महादशा चल रही होती है, तो वह कम से कम 17 वर्ष तक रहती है। 

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इसी प्रकार, अगर किसी जातक की कुंडली में बुध देव वक्री अवस्था में विराजमान होते हैं, तो वह आपको अनुकूल प्रदान करने में असमर्थ होते हैं। वहीं, जब बुध गोचर करने के बाद वक्री होते हैं, तो इनसे शुभ परिणामों की ही प्राप्ति होती है। लेकिन, महादशा के दौरान मीन राशि में बुध के बैठे होने पर आपको शुभ फल प्रदान करेंगे क्योंकि इस राशि में बुध नीच अवस्था में होते हैं। 

कुंडली में कमज़ोर बुध का प्रभाव 

बुध ग्रह की शुभ-अशुभ स्थिति कुंडली में विशेष मायने रखती है। अगर यह किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ, कमज़ोर या पीड़ित अवस्था में होते हैं, तो ऐसे इंसान दूसरों से तुलना में खुद को कम समझने लगता हैं। साथ ही, उसे स्वयं पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं रहता है। अशुभ बुध का सीधा प्रभाव आपकी वाणी और बोलने की क्षमता पर पड़ता है जिसके चलते आप  साफ-साफ नहीं बोल पाते हैं। 

साथ ही, व्यक्ति को हकलाने की समस्या भी परेशान करने लगती है। जिन जातकों की कुंडली में बुध कमज़ोर होता है, उन्हें कड़ी मेहनत करने के बाद भी नौकरी और व्यापार में सफलता हाथ नहीं लगती है और अनेक समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। छात्रों को भी कमज़ोर बुध के कारण शिक्षा में बाधाओं से जूझना पड़ता है क्योंकि उनका ध्यान पढ़ाई-लिखाई से भटक जाता है। 

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बुध का कर्क राशि में गोचर के दौरान जरूर करें ये उपाय 

  • कोशिश करें कि घर-परिवार में छलकपट, धोखेबाजी और बेईमानी से कमाया हुआ धन न लेकर आएं। 
  • बुध देव को प्रसन्न करने के लिए प्रथम पूजा भगवान गणेश और देवी दुर्गा की उपासना करें। 
  • कुंडली में बुध को बलवान करने के लिए मूंग की दाल का दान करें। 
  • प्रतिदिन गाय को रोटी और बुधवार के दिन हरा चारा खिलाएं। 
  • जातक जब भी दिन में भोजन करें, उसका एक हिस्सा गाय, कुत्ते और कौवे के लिए अवश्य निकालें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। 
  • किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद पन्ना रत्न धारण करें। 
  • बुध ग्रह को बलवान बनाने के लिए हरे रंग की साड़ी और सुहाग की सामग्री किन्नरों को दान करें। 
  • बुध देव का आशीर्वाद पाने के लिए अपनी बेटी, मौसी, बुआ, साली और बहन के साथ संबंध मधुर बनाए रखें। 
  • प्रतिदिन बुध ग्रह के मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” का 108 बार जाप करें। इसके अलावा, नियमित रूप से गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना भी फलदायी साबित होता है। 

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बुध का कर्क राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली के लिए तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी होते हैं और यह कर्क … (विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

बुध ग्रह आपकी लग्न या राशि के स्वामी ग्रह तो होते ही हैं साथ ही साथ यह आपके … (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और बुध का कर्क… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी ग्रह होते हैं और बुध का … (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

बुध ग्रह आपकी लग्न या राशि के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ आपके कर्म स्थान … (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में भाग्य भाव के स्वामी ग्रह तो होते ही है साथ ही साथ यह … (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

बुध ग्रह आपकी कुंडली में आठवें भाव के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ लाभ भाव के … (विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि 

बुध ग्रह आपकी कुंडली में सप्तम तथा दशम भाव के स्वामी ग्रह होते हैं और बुध का … (विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में छठे भाव के स्वामी ग्रह होते हैं। इसके अलावा यह आपके भाग्य…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में पंचम भाव के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ आठवें भाव… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

बुध ग्रह आपकी कुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ सातवें भाव के … (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बुध का कर्क राशि में गोचर कब होगा?

चंद्र देव की कर्क राशि में बुध देव 22 जून 2025 को गोचर करेंगे। 

क्या चंद्रमा और बुध मित्र हैं?

नहीं, बुध और चंद्रमा को एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है।

चंद्रमा किसका प्रतिनिधित्व करता है?

ज्योतिष के अनुसार, चंद्र देव को मन के कारक ग्रह के रूप में जाना जाता है।