शनि मीन राशि में वक्री: एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों को समय-समय पर ज्योतिष की दुनिया में होने वाली घटनाओं से रूबरू करवाता रहा है। इसी क्रम में, हमारे आज के इस लेख में आपको “शनि मीन राशि में वक्री” से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त होगी। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि नवग्रहों में शनि महाराज एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो सबसे मंद गति से चलते हैं इसलिए इन्हें अपनी चाल, दशा या फिर राशि बदलने में काफ़ी समय लगता है। अब यह मीन राशि में वक्री होने जा रहे हैं और इनकी वक्री अवस्था देश-दुनिया समेत सभी राशियों को प्रभावित करने में सक्षम है। इसके परिणामस्वरूप, शनि मीन राशि में वक्री के दौरान कुछ राशियों को सकारात्मक और कुछ को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ, इस दौरान कुछ विशेष राशि के जातकों को सावधान रहना होगा।

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अगर हम बात करें शनि ग्रह की, तो बता दें कि शनि देव का नाम ही लोगों को भयभीत करने के लिए काफ़ी होता है क्योंकि इन्हें कर्मफल दाता का पद प्राप्त है। यह आपको आपके अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। वहीं, इनकी दशाएं, टेढ़ी नज़र, साढ़े साती और ढैय्या लोगों के जीवन की कायापलट करने की क्षमता रखती हैं। शनि महाराज का प्रभाव जातक को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है। ऐसे में, शनि मीन राशि में वक्री को एक बड़ी घटना के रूप में देखा जाएगा। तो आइए अब हम बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि शनि वक्री के बारे में सब कुछ।
कब और किस समय होंगे शनि वक्री?
शनि देव को क्रूर और पापी ग्रह माना जाता है जो सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलते हैं इसलिए इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। शनि महाराज को अपनी धीमी गति की वजह से राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 30 साल लगते हैं। अब यह गुरु देव की राशि मीन में 13 जुलाई 2025 की सुबह 07 बजकर 24 मिनट पर वक्री होने जा रहे हैं। शनि ग्रह तक़रीबन चार महीनों तक वक्री अवस्था में रहेंगे। ऐसे में, इनकी वक्री अवस्था को शुभ नहीं कहा जा सकता है और इसके फलस्वरूप, जातकों को बेहद सावधानी बरतनी होगी। चलिए अब हम जान लेते हैं ग्रह की वक्री अवस्था के बारे में।
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किसे कहते हैं ग्रह का वक्री होना?
ज्योतिष की दुनिया में प्रत्येक ग्रह समय-समय पर अस्त, उदित, मार्गी और वक्री होता है। सिर्फ़ सूर्य एक ऐसा ग्रह है जो सदैव मार्गी चाल चलते हैं। बात करें ग्रहों के वक्री होने की तो, जब कोई ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर आगे की दिशा में बढ़ने की बजाय पीछे की तरफ यानी कि उलटी दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है, इसे ही ज्योतिष में ग्रह का वक्री होना कहते हैं। हालांकि, कोई ग्रह कभी भी उल्टा नहीं चलता है, लेकिन दूर से देखने पर उल्टा चलता हुआ प्रतीत होता है। ग्रह की वक्री अवस्था को शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि यह मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने में समर्थ होती है।
ज्योतिषीय दृष्टि से शनि ग्रह
- शनि महाराज को न्याय के देवता माना जाता है और इन्हें राशि चक्र में मकर राशि और कुंभ राशि पर आधिपत्य प्राप्त है। यह राशियां दसवें भाव और लाभ भाव को दर्शाती है।
- बता दें कि कुंडली का दसवां भाव कर्मों और उससे अगला भाव कर्मों के फल का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए ही शनि देव कर्मफल कारक कहे गए हैं।
- शनि ग्रह को आठवें भाव के कारक भी माना जाता है जो इंसान के स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा है। नवग्रहों में सिर्फ़ शनि देव ऐसे ग्रह हैं जिन्हें आठवें भाव में जाने पर दोष नहीं लगता है।
- आठवें भाव में शनि महाराज की मौजूदगी जातक को अपनी छिपी हुई क्षमता से अवगत करवाती है।
- कुंभ राशि शनि देव की मूलत्रिकोण राशि भी है और वहीं, मेष राशि में यह नीच अवस्था में होते हैं।
- श्रमिक और गरीबों के भी कारक ग्रह शनि देव हैं इसलिए जो व्यक्ति इनकी सेवा करता है, उन्हें शनि ग्रह का प्रकोप नहीं झेलना पड़ता है।
- इसके विपरीत, शनि देव की खदान, लोहे, तेल की मिल, कबाड़, सरसों के तेल आदि कामों को भी नियंत्रित करते हैं।
- नक्षत्रों में शनि महाराज अनुराधा, पुष्य और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं।
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मनुष्य जीवन पर शनि देव का प्रभाव
करियर पर शनि ग्रह का प्रभाव
अगर किसी जातक की कुंडली में शनि ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, तो उसके लिए करियर में आगे बढ़ना और सफलता पाना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे इंसान को नौकरी में समस्याओं का बार-बार आना, कार्यक्षेत्र में पदोन्नति न मिलना और विवाद में फंस जाना जैसी समस्याएं परेशान करने लगती हैं। लेकिन, कुंडली में शनि देव अगर मज़बूत स्थिति में होते हैं, तो जातक को एक स्थिर करियर प्रदान करते हैं जहाँ वह तरक्की हासिल करता है।
आर्थिक जीवन पर शनि ग्रह का प्रभाव
जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह मज़बूत होते हैं, उन्हें अपने जीवन में आर्थिक स्थिरता, पैतृक संपत्ति के साथ-साथ आय के भिन्न-भिन्न स्रोतों से धन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, निवेश से भी लाभ प्राप्त होता है। दूसरी तरफ, कुंडली में शनि के पीड़ित अवस्था में होने पर जातक को धन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह लोग धन से जुड़े गलत फैसले लेने के कारण व्यापार में हानि और कर्ज़ में डूब जाते हैं।
स्वास्थ्य पर शनि ग्रह का प्रभाव
यदि कुंडली में शनि महाराज की स्थिति शुभ और बलवान है, तो आपका स्वास्थ्य उत्तम रहता है और आपको रोग या बीमारी परेशान नहीं करती है। लेकिन, इनकी स्थिति दुर्बल होने पर जातक को त्वचा, जोड़ों में दर्द, पेट और दांतों से संबंधित समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। साथ ही, ऐसा व्यक्ति मानसिक समस्याओं की वजह से तनाव में भी नज़र आ सकता है।
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प्रेम जीवन पर शनि ग्रह का प्रभाव
कुंडली में शनि महाराज के अनुकूल स्थिति में होने पर या फिर तीसरे, पांचवें, छठे, नौवें और दसवें भाव में मौजूद होने पर यह आपके प्रेम जीवन को जुनून और प्रेम से भर देते हैं। साथ ही, आप दोनों के बीच आपसी तालमेल और आपसी समझ मज़बूत होती है। वहीं, शनि ग्रह आपकी कुंडली के पहले/लग्न, दूसरे, चौथे, सातवें और आठवें भाव में कमज़ोर अवस्था में होने पर रिश्ते में गलतफहमियां, खुलकर बात न कर पाने और दूरी जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं।
वैवाहिक जीवन पर शनि ग्रह का प्रभाव
कुंडली में शनि महाराज का बलवान होना वैवाहिक जीवन को सुखमय और मज़बूत बनाने का काम करता है। जातक अपने साथी के प्रति बेहद वफादार होता है और बहुत समझदारी से शादीशुदा जीवन को निभाता है। दूसरी तरफ, शनि ग्रह की पीड़ित अवस्था वैवाहिक जीवन में आपकी परीक्षा ले सकती है और यह कदम-कदम पर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। वहीं, अविवाहित जातकों को शनि के अशुभ होने पर विवाह में देरी और अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कुंडली में शनि ग्रह के कमज़ोर होने पर आप इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं।
शनि कमज़ोर होने के लक्षण
- कुंडली में शनि दोष होने पर व्यक्ति के सामने बार-बार वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है और उस पर झूठे आरोप लग सकते हैं। साथ ही, वह कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंस सकता है।
- अगर कुंडली में शनि देव निर्बल होते हैं, तो ऐसे इंसान की धन-संपत्ति बेकार के कार्यों में धीरे-धीरे करके खर्च होने लगती है।
- शनि देव के अशुभ होने पर कड़ी मेहनत करने के बाद भी उसका फल प्राप्त नहीं होता है और नौकरी में भी समस्याएं बनी रहती हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह दुर्बल होते हैं, तो उसके बाल समय से पहले ही झड़ने लगते हैं और आंखों से जुड़े रोग भी परेशानी की वजह बनते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति पेट दर्द, टीबी, चर्म रोग, फ्रैक्चर, अस्थमा, कैंसर और सर्दी-जुकाम आदि रोगों का भी शिकार हो सकता है।
- शनि दोष के नकारात्मक प्रभाव की वजह से ही व्यक्ति जुआ और शराब जैसी गलत आदतों में पड़ जाता है। आपके बने बनाए काम एकदम से बिगड़ जाते हैं, घर में आग लगना, कर्ज़ का बढ़ना और घर का कोई हिस्सा गिरना भी कमज़ोर शनि की निशानी होता है।
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शनि मीन राशि में वक्री के दौरान करें ये उपाय
- प्रत्येक शनिवार को लोहे के एक कटोरे में काले चने, साबुत उड़द और सरसों का तेल लें और इसे काले कपड़े में बांधकर अपने माथे से लगाकर दान कर दें। ऐसा करने से शनि दोष के प्रभाव से राहत मिलती है।
- शनि शांति के लिए शनि अमावस्या के दिन कच्चे दूध में मीठा जल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें। साथ ही, तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
- शनि दोष का निवारण करने के लिए शनिवार को शनि देव के साथ-साथ भगवान शिव का पूजन करें क्योंकि महादेव को शनि महाराज के आराध्य माना जाता है। साथ ही, जल में काले तिल मिलाकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करें।
- शनि देव की कृपा पाने के लिए संकटमोचन हनुमान जी का पूजा भी वरदान सिद्ध होता है। शनिवार के दिन शनि ग्रह और हनुमान जी की पूजा करें।
- संभव हो, तो शनि देव के लिए शनिवार का व्रत रखें और अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें।
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शनि मीन राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में कर्म स्थान और लाभ भाव के स्वामी…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके भाग्य स्थान और कर्म भाव के भी स्वामी हैं जो अब…(विस्तार से पढ़ें)
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मिथुन राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में आठवें भाव के स्वामी होने के साथ…(विस्तार से पढ़ें)
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कर्क राशि वालों के लिए आपकी कुंडली में शनि सातवें भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब…(विस्तार से पढ़ें)
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सिंह राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके छठे तथा सातवें भाव के स्वामी हैं। अब यह…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए आपकी कुंडली में शनि ग्रह पांचवें तथा छठे भाव के स्वामी हैं जो…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके चौथे तथा पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे तथा चौथे भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए आपकी कुंडली में शनि ग्रह दूसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ दूसरे भाव…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके लग्न या राशि के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके लाभ भाव के स्वामी होने के साथ-साथ व्यय भाव के…(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मीन राशि में शनि महाराज 13 जुलाई 2025 को वक्री हो जाएंगे।
राशि चक्र की बारहवीं राशि मीन के स्वामी ग्रह गुरु देव हैं।
ज्योतिष के अनुसार, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए छाया दान करें और हनुमान जी की पूजा करें।