शुक्र वृश्चिक राशि में अस्त: ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रेम, आकर्षण, वैभव, सौंदर्य, कला और भोग विलास के कारक माने जाते हैं। जब यही शुक्र ग्रह अस्त होते हैं, तब जीवन की चमक फीकी पड़ जाती है, रिश्तों में दूरी आने लगती है, मन का संतुलन डगमगाने लगता है और सुख-सौंदर्य पर ग्रहण लग जाता है। इस अवधि में व्यक्ति का आत्मविश्वास, रूप रंग और प्रेम जीवन सभी प्रभावित हो सकते हैं।

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आने वाले समय में जब शुक्र अस्त होंगे, तब कई राशियों को सतर्क रहने की आवश्यकती हो सकती है क्योंकि यह काल भावनात्मक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। हालांकि, कुछ राशियों के लिए यह समय आत्मचिंतन और रिश्तों के परखने का भी अवसर लेकर आएगा।
बता दें कि शुक्र वृश्चिक राशि में अस्त हो रहा है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको “शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं शुक्र अस्त की तिथि और समय पर।
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शुक्र वृश्चिक राशि में अस्त : तिथि और समय
26 नवंबर, 2025 को सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर शुक्र वृश्चिक राशि में अस्त होंगे।
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को केवल प्रेम और सौंदर्य का ग्रह नहीं बल्कि जीवन में आनंद का सार माना गया है। यह ग्रह है जो व्यक्ति को भौतिक सुख, कलात्मकता और आकर्षण प्रदान करता है। शुक्र का प्रभाव केवल बाहरी सुंदरता तक सीमित नहीं होता, यह भीतर की कोमलता, संवेदनशीलता और जीवन को सुंदर दृष्टि से देखने की क्षमता देता है। जब शुक्र शुभ अवस्था में होता है, तब व्यक्ति के जीवन में प्रेम, संगीत, कला, शांति और विलास का संगम देखने को मिलता है।
यह ग्रह व्यक्ति के व्यक्तित्व में चमक और करिश्मा भर देता है। वहीं जब शुक्र पीड़ित या अस्त होता है, तो व्यक्ति के जीवन से रंग जैसे उड़ने लगते हैं, रिश्तों में ठंडापन, आत्म-संदेह और मानसिक अस्थिरता हावी होने लगती है इसलिए कहा गया है, ‘शुक्र जहां प्रसन्न, वहां जीवन ‘रसपूर्ण; और जहां खिन्न, वहां सब कुछ फीका’।
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सभी 12 भावों में शुक्र ग्रह का प्रभाव
प्रथम भाव (लग्न भाव में शुक्र)
जब शुक्र लग्न भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति आकर्षक, सुंदर और मिलनसार होता है। उसमें प्राकृतिक करिश्मा और कला का भाव होता है। ऐसे लोग जीवन का आनंद लेना जानते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं।
द्वितीय भाव में शुक्र
यह स्थिति व्यक्ति को मधुर वाणी, धन-संपत्ति और सुंदर वस्तुओं के प्रति लगाव देती है। ऐसे व्यक्ति खाने-पीने और फैशन के शौकीन होते हैं।
तृतीय भाव में शुक्र
यह भाव व्यक्ति को कलात्मक अभिव्यक्ति, लेखन, संगीत या अभिनय में निपुण बनाता है। भाई-बहनों के साथ मधुर संबंध रहते हैं।
चतुर्थ भाव में शुक्र
यह शुक्र गृहस्थ सुख, वाहन, संपत्ति और पारिवारिक आनंद देता है। माता से अच्छा संबंध रहता है और घर का वातावरण सौंदर्यपूर्ण होता है।
पंचम भाव में शुक्र
यह भाव प्रेम, रचनात्मकता और संतान से जुड़ा होता है। यहाँ शुक्र होने से व्यक्ति रोमांटिक, कलात्मक और आकर्षक स्वभाव का होता है।
षष्ठ भाव में शुक्र
यह स्थिति स्वास्थ्य और प्रतिस्पर्धा से जुड़ी है। यहां शुक्र होने से व्यक्ति दूसरों की मदद करने वाला होता है लेकिन रिश्तों में व्यावहारिकता बढ़ती है।
सप्तम भाव में शुक्र
यह शुक्र विवाह और साझेदारी के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवनसाथी को बेहद प्यार और सम्मान देता है।
अष्टम भाव में शुक्र
यह स्थिति रहस्यमयी आकर्षण और गूढ़ विद्या में रुचि देती है। ऐसे व्यक्ति का स्वभाव गहराई भरा होता है।
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नवम भाव में शुक्र
यह स्थिति सौभाग्य, धर्म और भाग्य वृद्धि देने वाली होती है। व्यक्ति उच्च विचारों वाला, धार्मिक और सौंदर्यप्रिय होता है।
दशम भाव में शुक्र
यह स्थिति व्यक्ति को कला, मनोरंजन, फैशन या डिजाइनिंग के क्षेत्र में सफलता दिलाती है। समाज में अच्छी छवि मिलती है।
एकादश भाव में शुक्र
यह शुक्र मित्रों और सामाजिक जीवन में सौभाग्य लाता है। व्यक्ति लोकप्रिय और मिलनसार होता है।
द्वादश भाव में शुक्र
यह शुक्र कल्पना शक्ति, विलासिता और विदेशी संबंधों से लाभ देता है। व्यक्ति सुंदर वस्तुओं और आरामदायक जीवन का शौकीन होता है।या खर्च की अधिकता।
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शुक्र वृश्चिक राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण, कला, संगीत, भौतिक सुख-सुविधाएं और वैवाहिक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। यह जीवन में आनंद और संतुलन का प्रतीक है।
जब शुक्र उच्च राशि (मीन राशि) में हो या शुभ भावों (1, 4, 5, 7, 9, 10, 11) में स्थित हो, तब यह अत्यंत शुभ फल देता है। इससे व्यक्ति का जीवन सुंदर, समृद्ध और प्रेमपूर्ण बनता है।
कमजोर शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक तनाव, त्वचा या हार्मोन संबंधी रोग, कला में रुचि की कमी, संबंधों में अस्थिरता और आकर्षण की कमी देखी जा सकती है।