शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: शुक्र देव मनुष्य जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों प्रेम और विवाह को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में, कारक ग्रह के रूप में इनका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को नवग्रहों में प्रमुख दर्जा प्राप्त है जो कि प्रेम, विवाह, ऐश्वर्य, सुख-सुविधाओं और भोग-विलास आदि के कारक माने गए हैं। सरल शब्दों में कहें तो, किसी व्यक्ति का प्रेम जीवन सुखी और ख़ुशहाल शुक्र ग्रह की कृपा से ही होता है। अब जून माह में शुक्र महाराज जल्द ही अपनी राशि में परिवर्तन करने जा रहे हैं। बता दें कि शुक्र देव राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ में गोचर करने के लिए तैयार हैं जिसके प्रभाव से राशियों सहित देश-दुनिया में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र देव शुभ स्थिति में उपस्थित हैं, उनका प्रेम जीवन प्रेम से गुलज़ार रह सकता है जबकि ऐसे जातक जो शुक्र के अशुभ प्रभावों का सामना कर रहे हैं, उन्हें लव लाइफ में उतार-चढ़ाव का सामना करन पड़ता है।

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इसी क्रम में, शुक्र का वृषभ राशि में गोचर कुछ राशियों के लिए अच्छे और कुछ राशियों के लिए बुरे परिणाम लेकर आ सकता है। एस्ट्रोसेज एआई का यह ब्लॉग आपको “शुक्र का वृषभ राशि में गोचर” से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि और समय आदि। साथ ही, शुक्र गोचर के दौरान किन राशियों को सावधान रहना होगा और किन राशियों का जीवन प्रेम से भरा रहेगा? इस बारे में भी हम आपको बताएंगे। इसके अलावा, शुक्र गोचर के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा बताए गए उपाय भी आपको इस लेख में दिए जाएंगे, इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें। आइए अब हम सबसे पहले नज़र डालते हैं शुक्र गोचर के समय और तिथि पर।
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शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: तिथि और समय
प्रेम और विलासिता के कारक ग्रह के रूप में शुक्र देव अपने ही स्वामित्व वाली राशि वृषभ में 29 जून 2025 की दोपहर 01 बजकर 56 मिनट पर गोचर करेंगे। जून माह में होने वाले कई बड़े ग्रहों के गोचरों में से एक शुक्र महाराज का यह गोचर होगा। बता दें कि शुक्र देव मेष से निकलकर अपनी ही राशि में जा रहे हैं और ऐसे में, इस गोचर को शुभ कहा जा सकता है। साथ ही, शुक्र का यह राशि परिवर्तन निश्चित रूप से राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया को भी प्रभावित करेगा। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं शुक्र ग्रह के महत्व से।
शुक्र ग्रह का ज्योतिषीय महत्व
- वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव को लाभकारी और शुभ ग्रह माना जाता है। इन्हें कुंडली में दूसरे और सातवें भाव पर आधिपत्य प्राप्त हैं।
- शुक्र महाराज का गोचर हर महीने होता है क्योंकि यह एक राशि में तक़रीबन 27 दिनों तक रहते हैं। इसके बाद, एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं।
- 27 नक्षत्रों में शुक्र ग्रह पूर्वाषाढ़ा, भरणी और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी हैं। इनकी उच्च राशि मीन है जबकि यह कन्या राशि में नीच अवस्था में होते हैं।
- अगर बात करें शुक्र ग्रह के मित्रों की, नवग्रहों में शुक्र देव की मित्रता शनि और बुध ग्रह से है। वहीं, चंद्रमा और सूर्य इनके शत्रु माने जाते हैं।
- शुक्र ग्रह का संबंध देवी लक्ष्मी से भी माना गया है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी के पूजन से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं।
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शुक्र ग्रह का वैज्ञानिक महत्व
- धार्मिक के साथ-साथ शुक्र ग्रह का वैज्ञानिक दृष्टि से भी ख़ास महत्व है। बता दें कि विज्ञान में पृथ्वी और शुक्र को जुड़वा बहनें कहा जाता है क्योंकि इन दोनों ग्रहों का आकार और बनावट एक जैसी होती है। शुक्र और पृथ्वी दोनों ग्रहों में अनेक समानताएं पाई जाती हैं।
- पृथ्वी के समान ही शुक्र ग्रह की सतह चट्टान की तरह मज़बूत होती है। इस ग्रह के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड पाया जाता हैं।
- बात करें तापमान की तो, शुक्र का तापमान धरती की तुलना में काफ़ी ज्यादा होता है इसलिए इसे सबसे गर्म ग्रह कहा जाता है। आपको यह बात जानकर हैरानी हो सकती है कि शुक्र पर बड़ी संख्या में ज्वालामुखी उपलब्ध हैं।
शुक्र ग्रह के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के बाद अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शुक्र ग्रह से निर्मित होने वाले शुभ और अशुभ योगों के बारे में।
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शुक्र ग्रह से बनने वाले शुभ योग
प्रेम एवं ऐश्वर्य के ग्रह के रूप में शुक्र देव के किसी राशि या भाव में ग्रहों के साथ युति करने से कई तरह के शुभ-अशुभ योग बनते हैं। कौन से हैं वह योग? आइए जानते हैं।
शुक्र से निर्मित होने वाले शुभ योग
मालव्य योग: कुंडली में मालव्य राजयोग का निर्माण उस समय होता है जब शुक्र देव अपनी स्वराशि (वृषभ या तुला) में या उच्च राशि मीन में विराजमान होकर कुंडली के केंद्र भाव यानी कि लग्न, चौथे, सातवें या दसवें भाव में मौजूद होते हैं। इस समय शुक्र महाराज अपनी राशि वृषभ में जा रहे हैं, तो मालव्य राजयोग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से जातक सुंदर और आकर्षक बनता है। साथ ही, आपका जीवन सुख-सुविधाओं से पूर्ण होता है।
लक्ष्मी नारायण योग: कुंडली में बनने वाला सबसे शुभ राजयोग होता है लक्ष्मी नारायण राजयोग। जब बुध और शुक्र ग्रह किसी राशि में या किसी भाव में एक साथ बैठे होते हैं, तब लक्ष्मी नारायण राजयोग का निर्माण होता है। ज्योतिष में बुध को वाणी, व्यापार और बुद्धि का कारक ग्रह माना जाता है जबकि शुक्र देव धन-वैभव और प्रेम के प्रतीक माने गए है। ऐसे में, इन दोनों ग्रहों का युति से एक बेहद शुभ लक्ष्मी नारायण राजयोग का निर्माण होता है।
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कुंडली में कैसे पहचानें कमज़ोर शुक्र को?
- ज्योतिष के अनुसार, यदि कुंडली में शुक्र देव कमजोर होते हैं, तो घर में दरिद्रता वास करने लगती है।
- शुक्र की दुर्बल अवस्था के प्रभाव से जीवन में आर्थिक समस्याओं में वृद्धि देखने को मिलती हैं। साथ ही, जातक को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ सकता है।
- मान्यता है कि शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में दिक्कतों से दो-चार होना पड़ सकता है।
- ऐसा माना जाता है कि कुंडली में शुक्र देव के कमजोर या दुर्बल होने पर जातक को जीवन के प्रत्येक कार्य में असफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही, कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी सफलता के मार्ग में समस्याएं बनी रहती हैं।
- अगर आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति कमज़ोर होती है, तो आपको शादी-विवाह और प्रेम जीवन से लेकर वैवाहिक जीवन तक में बाधाओं से दो-चार होना पड़ सकता है।
- जिनका शुक्र दुर्बल अवस्था में होता है, उनके जीवन में धन, सुख-सुविधाओं का अभाव रहता है। साथ ही, ऐसे जातकों का आत्मविश्वास भी कमजोर रहता है।
- शुक्र के अशुभ प्रभाव से जातक को प्रेम जीवन में भी समस्याओं और असफलता का सामना करना पड़ता है।
शुक्र कमज़ोर हैं, तो न करें ये काम
- शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर जातकों को भूलकर भी शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान लेने से बचना चाहिए।
- यदि विवाह में देरी हो रही है, तो काले कपड़े कम से कम धारण करें, विशेष रूप से शुक्रवार के दिन काले रंग के कपड़े न पहनें।
- कुंडली में शुक्र अशुभ होने पर जातक गरीबों को परेशान न करें, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
- मान्यताओं के अनुसार, शुक्र देव के दुर्बल होने पर जातक को मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन मांस-मदिरा के सेवन से बचना चाहिए।
शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय
- शुक्र देव की स्थिति में कुंडली को मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन सफेद चीज़ों जैसे कि दही, चीनी, खीर, चांदी या चावल आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
- शुक्र ग्रह की कृपा पाने के लिए शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। अगर संभव हो, तो शुक्रवार का व्रत करें।
- कुंडली में शुक्र महाराज की स्थिति को बलवान करने के लिए भगवान कृष्ण को चांदी की बांसुरी अर्पित करें।
- शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए शुक्र देव के बीज मंत्र ‘ऊँ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नमः’ का 108 बार जाप करना सबसे सरल और प्रभावी उपाय होता है।
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शुक्र का वृषभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
शुक्र आपकी कुंडली में दूसरे और सातवें भाव के स्वामी होते हैं और शुक्र… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
शुक्र आपकी कुंडली में आपके लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके छठे… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
शुक्र आपकी कुंडली में पांचवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ द्वादश भाव के… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
शुक्र आपकी कुंडली में चौथे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ लाभ भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
शुक्र आपकी कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ दशम भाव… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
शुक्र आपकी कुंडली में दूसरे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ भाग्य भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
शुक्र आपकी कुंडली में आपकी लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आठवें भाव… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
शुक्र आपकी कुंडली में सातवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ द्वादश भाव… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
शुक्र आपकी कुंडली में छठे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ लाभ भाव के भी स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
शुक्र आपकी कुंडली में पांचवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ दशम भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
शुक्र आपकी कुंडली में चौथे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ भाग्य भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
शुक्र आपकी कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ आठवें भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
शुक्र देव 29 जून 2025 को अपनी राशि वृषभ में प्रवेश कर जाएंगे।
शुक्र देव की कृपा पाने के लिए शुक्रवार का व्रत करें और शुक्रवार को सफ़ेद वस्तुओं का दान करें।
ज्योतिष के अनुसार, शुक्र ग्रह सूर्य और चंद्रमा के प्रति शत्रुता के भाव रखते हैं।